जापान में सूतीवस्त्र उद्योग
जापान का औद्योगिक विकास सूती वस्त्र व्यवसाय के विकास के साथ ही प्रारंभ हुआ
है| यहां सबसे पहले 1862 में दक्षिणी क्यूशू में कागोशिमा में सूती वस्त्र का कारखाना
खुला| उसके बाद 1880 तक ओसाका तथा
इसके आसपास के नगरों में अनेक कारखाने खुल गए| 1910 तक जापान में 140 सूती कपड़ों के कारखाने खुल गए तथा इनमें 160 करोड वर्ग मीटर सूती वस्त्रों का उत्पादन हुआ|
1930 के दशक में जापान ने पहली छमाही के दौरान किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक कपास का निर्यात किया था ।1935 तक जापान में सूती वस्त्र बनाने के 285 कारखाने हो गए तथा इनमें 360 करोड वर्ग मीटर सूती वस्त्र तैयार हुआ | कच्चे कपास की स्थानीय खेती के अभाव में, जापान को अपने उत्पादन को पूरा करने के लिए आयात की ओर रुख करना पड़ा माँग। 1900 के दशक से 1930 तक भारत जापान को कच्चे कपास का प्रमुख आपूर्तिकर्ता था, जबकि उस समय के अधिकांश समय के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था।
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जापान सूती वस्त्रों का एक प्रमुख निर्यातक था, लेकिन इस युद्ध ने जापान के वस्त्र उद्योग को तबाह कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व तक जापान सूती वस्त्र उत्पादन में इतनी अधिक उन्नति कर गया था कि इसका विश्व के सूती वस्त्र उत्पादक देशों में तीसरा स्थान था| कोरियाई युद्ध के फैलने के बाद, वह जापानी सूती कताई फर्मों ने अपनी सुविधाओं का विस्तार करना शुरू कर दिया। 1951 तक, जापान एक बार फिर सूती वस्त्रों का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश था |
जापान में सूती वस्त्र व्यवसाय के
अत्याधिक विकसित हो जाने के निम्न कारण थे:
1. जापान में पूर्वी
समुद्र तटीय प्रदेशों में वर्ष भर नमी रहती है जिसके फलस्वरूप इस भाग में सूती
वस्त्र उद्योग विकास कर गया|
2. जापान की जनसंख्या अधिक होने के कारण इस उद्योग
के लिए पर्याप्त सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं|
3. इस उद्योग के कच्चे माल या कपास की पूर्ति को
मैदान से तथा आयात करके आसानी से हो जाती है|
4. जापान में जल विद्युत का बहुत विकास हुआ है
इसलिए इस उद्योग को सस्ती विद्धुत शक्ति मिल जाती है|
5. जापान के अधिकतर पड़ोसी देश अविकसित या विकासशील अवस्था में हैं, इसलिए जापान के तैयार सूती वस्त्र के लिए दक्षिण
पूर्व एशिया के राष्ट्रों में बाजार की सुविधा है| तैयार माल की
खपत होने के कारण जापान सूती वस्त्र का अधिक उत्पादन करता है| अब इस उद्योग में जापान को चीन तथा बांग्लादेश से काफी अधिक प्रतिस्पर्धा मिल रही है |
6. जापान के विकसित परिवहन के साधनों से इस
व्यवसाय के विकास में बड़ी सुविधा मिलती है|
7. जापान की सरकार की सहायता एवं उत्तम व्यवस्था
का भी इस व्यवसाय के विकास पर असर पड़ा है|
8. नवीन मशीनों का प्रयोग तथा तकनीकी ज्ञान के
कारण यहां उत्तम श्रेणी का सूती वस्त्र तैयार किया जाता है|
9. पूंजी की पर्याप्त व्यवस्था होने के कारण जापान
में नए कारखाने आसानी से खुल जाते हैं|
जापान में सूती वस्त्र उद्योग के क्षेत्र निम्नलिखित हैं :
1. कोबे ओसाका क्षेत्र- इस क्षेत्र का केंद्र ओसाका है| जहां जापान का सबसे बड़ा सूती वस्त्र उत्पादक केंद्र है| यहां समस्त जापान के सूती वस्त्र उत्पादन का लगभग 35%
उत्पाद उत्पन्न किया जाता है| ओसाका नगर में सूती वस्त्र उद्योग इतना प्रमुख है कि इसे
जापान का मैनचेस्टर कहा जाता है| इस क्षेत्र का
अन्य बड़ा औद्योगिक सूती वस्त्र केंद्र कोबे है| इनके अतिरिक्त
वाकायामा, किशीवादी, नारा केंद्र ओसाका के समीप और अमागासाकी एवं निशिकावा कोबे के
समीप स्थित हैं| इस क्षेत्र को कपास आयात
करने की पूर्ण सुविधा है|
2. टोक्यो - याकोहामा क्षेत्र - इस सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र
टोक्यो एवं याकोहामा है| यहां आयात
निर्यात की सुविधाएं हैं क्योंकि याकोहामा प्रमुख पत्तन है| यह टोक्यो का भी पतन है|
3. दक्षिणी- पश्चिमी होन्शु क्षेत्र - इस क्षेत्र के प्रधान केंद्र ओकायामा, करे एवं
हिरोशिमा आदि हैं|
4. मीनोओबारी मैदान - इस क्षेत्र का केंद्र नागोया है|
5. अन्य क्षेत्र - सूती वस्त्र उद्योग के अन्य केंद्र हमामत्सु एवं शिजुओका
आदि है|
जापान में, 2007 में 71,669 टन सूती धागा तथा 3680 लाख वर्ग मीटर सूती वस्त्र तैयार किया गया| जापान से सूत का निर्यात ताइवान, भारत तथा दक्षिणी कोरिया को तथा सूती वस्त्र का निर्यात म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों को किया जाता है|
Author: M Sabir
Our YouTube Channel: Junior Geographer
YouTube Channel Link: https://www.youtube.com/channel/UCF7QosQ6SWUj2qvLVDoYvHw
Comments
Post a Comment