भविष्य के भोजन के स्रोत
के रूप में महासागर
परिचय
महासागर पृथ्वी की सतह के लगभग 70% भाग पर फैला है, जिसका अर्थ है कि यह पृथ्वी पर किसी भी प्रकार के जीवों के लिए सबसे बड़ा वातावरण है। महासागर भोजन और अन्य संसाधनों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। प्राचीनकाल से मनुष्यों ने भोजन के स्रोत के रूप में समुद्री जीवों तथा वनस्पति का उपभोग किया है। हालाँकि विश्व की आबादी द्वारा उपभोग किए जाने वाले प्रोटीन का केवल 5% समुद्र से आता है, फिर भी यह दुनिया के लाखों निवासियों के आहार में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
पाँच प्रमुख महासागर निवास स्थान इस प्रकार हैं: उष्णकटिबंधीय या प्रवाल भित्ति निवास, समशीतोष्ण जल, खुला महासागर, गहरा समुद्र और ध्रुवीय क्षेत्र। अधिकांश समुद्री जीव समुद्र के ऊपरी भाग यानि 150 मीटर (500 फीट) तक निवास करते हैं। प्रवाल भित्तियों के गर्म, धूप वाले पानी से लेकर गहरे समुद्र के अंधेरे, ठंडे पानी तक, समुद्र, जीवन से भरपूर है।
महासागरों द्वारा मानव समाज को प्रदान की जाने वाली मुख्य सेवाओं में भोजन के लिए पकड़ी गयी मछली और खाने योग्य वनस्पति हैं। इसमें मछली, अकशेरुकी जीव, पौधे और समुद्री पक्षी आदि प्रत्यक्ष उपभोग के लिए तथा जलीय कृषि या कृषि के लिए फ़ीड के रूप में शामिल हैं। भोजन के इन महासागर आधारित स्रोतों से मानव स्वास्थ्य और पोषण, अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर लाभ होते हैं।
दुनिया भर में दो अरब से अधिक लोग कुपोषण के शिकार हैं, कुपोषण जीवन के लिए खतरा है, लेकिन इसे रोका जा सकता है । जलीय खाद्य पदार्थ विटामिन, खनिज, वसा आदि आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और मानव स्वास्थ्य और मस्तिष्क के विकास के लिए (खासकर बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिनों में) बहुत ज़रूरी होतें हैं ।
महासागरीय खाद्य का
वर्तमान उत्पादन
वर्तमान में, समुद्र से कुल प्राप्त प्रोटीन का 83.5% (49.3 बिलियन किग्रा) भाग प्रोटीन समुद्री मछलियों द्वारा प्राप्त होता है। अत्यधिक मछली पकड़ने से समुद्र में मछलियों की आबादी में स्थायी रूप से कमी हो जाती है, जिससे दीर्घकालिक रूप में खाद्य आपूर्ति में कमी आती है। समुद्री जीवों के शिकार के प्रबंधन में सुधार करके समुद्री जीवों का उत्पादन 16% तक (57.4 बिलियन किलोग्राम) बढ़ाया जा सकता। वर्तमान मांग के आधार पर वर्ष 2050 में समुद्र से 62 बिलियन किलोग्राम भोजन की आवश्यकता होगी, आने वाले समय में यदि मासांहार भोजन कि माँग बढ़ी तो विश्व के देशों को 80 बिलियन किलोग्राम से 103 बिलियन किलोग्राम तक अधिक समुद्री भोजन का उत्पादन करना पड़ सकता है।
भविष्य के भोजन के स्रोत
के रूप में महासागर
वर्ष 2050 में, पृथ्वी पर लगभग 10 बिलियन जनसंख्या होगी जिसको 500 बिलियन किलोग्राम से अधिक मांस की आवश्यकता होगी। यानी प्रथ्वी पर वर्तमान कि तुलना में 2 बिलियन अधिक लोग होंगे और 177 बिलियन किलोग्राम अधिक
मांस कि आवश्यकता होगी। साल 2050 तक, महासागर से 80 से 103 अरब किलोग्राम भोजन कि आवश्यकता होगी, जबकि वर्तमान उत्पादन 59 अरब किलोग्राम है, यानि भविष्य कि माँग कि पूर्ति के लिए वर्तमान उत्पादन में 36 से 74%
की वृद्धि करनी होगी।
महासागरीय जीवों तथा वनस्पति का प्रबंधन अगर सही प्रकार हो तो -
1. आज के मुकाबले से छह गुना ज्यादा भोजन का उत्पादन किया जा सकता है ।
2. भविष्य की आबादी की आवश्यकता का दो-तिहाई से अधिक प्रोटीन का उत्पादन किया जा सकता है
3. सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति (सभी नागरिकों को भोजन कि प्राप्ति), समुद्र-आधारित भोजन के माध्यम से कि जा सकती है, बशर्ते इसे स्थायी रूप से प्रबंधित किया जाए।
हमें भूमि के स्थान पर
समुद्र से भोजन क्यों प्राप्त करना चाहिए ?
महासागर से प्राप्त भोजन निम्नलिखित कारणों से स्थायी खाद्य सुरक्षा में एक
अनूठी भूमिका निभाता है:
1. कृषि योग्य भूमि की सीमा और महासागर की उत्पादन क्षमता -: उपज दर में कमी, भूमि और पानी की
कमी के कारण भूमि पर खाद्य उत्पादन को बढ़ाना मुश्किल है। पहले से ही, आधी से अधिक कृषि योग्य भूमि और 90% से अधिक मीठे पानी का उपयोग खाद्य उत्पादन में
किया जा रहा है। खेतों के अपवाह जल द्वारा भूमिगत जल प्रदूषण और तालाबों के जल प्रदुषण में वृद्धि हो रही है। भूमि
आधारित खाद्य उत्पादन में आने वाली समस्याओं के विपरीत, समुद्र से भोजन
उत्पादन में ऐसी किसी प्रकार कि कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है|
2. महासागर द्वारा प्राप्त भोजन से मिलने वाले प्रोटीन के लाभ: मनुष्यों को जितने भी खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, उनमें प्रोटीन सबसे प्रभावशाली तत्व है। सागरीय जीवों के उत्पादन में कार्बन का ना के बराबर उत्पादन होता है, जबकि पशुधन उत्पादन दुनिया भर में वनों की कटाई और जैव विविधता के नुकसान का सबसे बड़ा कारण है । भूमि पर कृषि द्वारा खाद्य उत्पादन में अधिकांश वृद्धि उष्णकटिबंधीय जंगलों को खेतों में बदलने से होती है। प्रोटीन के आवश्यकता की पूर्ति हेतु समुद्र से प्रोटीन का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए। 2050 के जलवायु और जैव विविधता लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समुद्री भोजन के उत्पादन में सतत रूप से वृद्धि करनी होगी
समुद्री भोजन, पशुओं द्वारा प्राप्त भोजन की तुलना में स्वास्थय के लिए अधिक लाभकारी है। इसमें कई सूक्ष्म पोषक तत्व ऐसे होते हैं जिन्हें भूमि आधारित भोजन से प्राप्त करना मुश्किल होता है।
3. जलवायु परिवर्तन - समुद्र से प्राप्त खाद्य पदार्थों द्वारा, भूमि
आधारित पशु-स्रोत खाद्य पदार्थों की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैस का उत्पादन होता हैं।
4. फ़ीड दक्षता - समुद्री जीवों कि वृद्धि के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले चारे कि तुलना में, पशुधन को उपलब्ध कराए जाने वाले चारे की अधिक आवश्यकता होती है, जिसके लिए अधिक धन खर्च होता है| समुद्र में खेती की जाने वाली कुछ प्रजातियों को फ़ीड इनपुट (चारे) की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है ।
5. पोषण - समुद्र के खाद्य
पदार्थ कई आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जैसे विटामिन, खनिज और ओमेगा -3 फैटी एसिड आदि, जोकि भूमि से प्राप्त खाद्य पदार्थों में नहीं पाए जाते
हैं।
6. सुलभता - समुद्र के खाद्य पदार्थ अधिकांश तटीय आबादी के लिए आसानी से उपलब्ध हैं और कई कम आय वाले तटीय देशों के लिए, किफायती, पौष्टिक और पसंदीदा प्रोटीन का एक आसन स्रोत हैं।
समुद्र से स्थायी भोजन की सतत (लगातार ) प्राप्ति कैसे संभव हो ?
समुद्र में खाद्य उत्पादन की पारिस्थितिक और आर्थिक सीमाओं के आधार पर,
समुद्र से भोजन को स्थायी रूप से बढ़ाने के छह चरण हैं:
1. मत्स्य प्रबंधन में सुधार
मत्स्य प्रबंधन में सुधार से मनुष्यों के लिए उपलब्ध समुद्री भोजन की मात्रा में वृद्धि होगी। पिछले कुछ दशकों में नियमों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी सुधार की गुंजाइश है। मुख्य रूप से विकासशील देशों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिनके पास नियमों को बनाने और लागू करने की क्षमता नहीं है।
2. उपभोक्ताओं की भोजन की मांग में परिवर्तन
3. अवैध तथा अवैज्ञानिक तरीके से मछली पकड़ने पर रोक
अवैध तथा अवैज्ञानिक तरीके से मछली पकड़ने पर रोक होनी चाहिए | समुद्रतटीय इलाके में रहने वाले गरीब मछुआरों को शासन द्वारा मछली पकड़ने का सही तरीका तथा अवैज्ञानिक रूप से मछली पकड़ने का नुकसान बताया जाना चाहिए | साथ ही ऐसे लोगों को रोज़गार के अन्य अवसर भी दिए जाने चाहिए, जिससे कि अवैध रूप से मछली पकड़ने को रोका जा सके |
6. समुद्री कृषि का सतत, निरंतर तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विस्तार
समुद्री भोजन का उपभोग, अन्य पशुओं के मांस के उपभोग की तुलना में पर्यावरण पर कम प्रभाव डालता है | सरकारों के द्वारा मछली पालन की नयी नयी तकनीकों को नागरिकों को बताना चाहिए | मछली पालन के लिए उत्साहित करने के लिए सरकारों को सब्सिडी कि व्यवस्था करनी चाहिए |
समुद्री शैवाल की खेती, फिनफिश और झींगा जैसी जीवों की कृषि का विस्तार खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है | इन प्रजातियों की कृषि करने से नागरिकों को रोज़गार के अवसर भी प्रदान होंगे तथा आय में भी वृद्धि होगी | इसके अतिरिक्त शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों में वृद्धि होनें से किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थय पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा |
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