सहसम्बन्ध (Correlation)
By: Sabir Chdhry
सांख्यिकी में सहसम्बन्ध का अर्थ, इस तथ्य से है कि दो श्रेणियों के अंकों में किस प्रकार का सम्बन्ध है| दो श्रेणियों में अंकों के परस्पर सहसम्बन्ध को मुख्यत हम निम्नलिखित दो प्रकार में विभाजित करते -
1. धनात्मक सहसम्बन्ध (Positive Correlation)
2. ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Negative Correlation)
सह सम्बन्ध तथा सह सम्बन्ध के दोनों प्रकारों को चलिए उदाहरण के साथ समझते हैं
1. धनात्मक सहसम्बन्ध ( Positive Correlation)
यदि दो श्रेणियों के समस्त अंकों में इस प्रकार का सम्बन्ध हो की अगर एक श्रेणी के अंकों में क्रमश वृद्धि होती है तो दूसरी श्रेणी के अंकों में भी व्रद्धि होती है या फिर एक श्रेणी के अंकों में क्रमश कमी होती है तो दूसरी श्रेणी के अंकों में भी कमी होती है, इस प्रकार के सम्बन्ध को ही धनात्मक सहसम्बन्ध कहते हैं |
निम्नलिखित उदाहरण संख्या 1 तथा 2 के द्वारा धनात्मक सहसम्बन्ध को आसानी से समझा जा सकता है
Example 1
|
X- श्रेणी
|
Y- श्रेणी
|
100
|
50
|
110
|
55
|
120
|
60
|
130
|
65
|
140
|
70
|
Example 1 में जैसे जैसे X श्रेणी के अंकों का मान बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ही श्रेणीं Y के अंकों का मान भी बढ़ता जा रहा है अतः श्रेणी X तथा श्रेणी Y के मध्य स्थित सहसम्बन्ध को हम धनात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे|
Example 2
|
X- श्रेणी
|
Y- श्रेणी
|
80
|
25
|
70
|
20
|
60
|
15
|
50
|
10
|
40
|
5
|
Example 2 में जैसे जैसे X श्रेणी के अंकों का मान घटता जा रहा है वैसे वैसे ही श्रेणीं Y के अंकों का मान भी घटता जा रहा है अतः श्रेणी X तथा श्रेणी Y के मध्य स्थित सहसम्बन्ध को हम धनात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे|
2. ऋणात्मक सहसम्बन्ध ( Negative Correlation)
यदि दो श्रेणियों के समस्त अंकों में इस प्रकार का सम्बन्ध हो की अगर एक श्रेणी के अंकों में क्रमश वृद्धि होती है तो दूसरी श्रेणी के अंकों में क्रमश कमी होती है या फिर एक श्रेणी के अंकों में क्रमश कमी होती है तो दूसरी श्रेणी के अंकों में वृद्धि होती है, इस प्रकार के सम्बन्ध को ही ऋणात्मक सहसम्बन्ध कहते हैं |
निम्नलिखित उदाहरण संख्या 3 तथा 4 के द्वारा ऋणात्मक सहसम्बन्ध को आसानी से समझा जा सकता है
Example 3 |
X- श्रेणी | Y- श्रेणी |
100 | 50 |
110 | 45 |
120 | 40 |
130 | 35 |
140 | 30 |
Example 3 में जैसे जैसे X श्रेणी के अंकों का मान बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ही श्रेणीं Y के अंकों का मान घटता जा रहा है अतः श्रेणी X तथा श्रेणी Y के मध्य स्थित सहसम्बन्ध को हम ऋणात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे|
Example 4 |
X- श्रेणी | Y- श्रेणी |
100 | 50 |
90 | 55 |
80 | 60 |
70 | 65 |
60 | 70 |
Example 4 में जैसे जैसे X श्रेणी के अंकों का मान घटता जा रहा है वैसे वैसे ही श्रेणीं Y के अंकों का मान बढ़ता जा रहा है अतः श्रेणी X तथा श्रेणी Y के मध्य स्थित सहसम्बन्ध को हम ऋणात्मक सहसम्बन्ध कहेंगे|
सहसम्बन्ध गुणांक (Coefficient of Correlation)
दो श्रेणियों के बीच कितना सहसम्बन्ध होगा इसकी गणना को ही सहसम्बन्ध गुणांक कहते हैं| दो श्रेणियों के बीच अधिकतम सहसम्बन्ध +1 हो सकता है, +1 सहसम्बन्ध होने पर इसको हम पूर्ण धनात्मक सहसम्बन्ध (Perfect Positive Correlation) कहते हैं जबकि दो श्रेणियों के बीच न्यूनतम सहसम्बन्ध -1 हो सकता है, -1 सहसम्बन्ध होने पर इसको हम पूर्ण ऋणात्मक सहसम्बन्ध (Perfect Negative Correlation) कहते हैं|
इसके अलावा बाकी सहसम्बन्ध परिणाम को निम्नलिखित तालिका में दिखाया गया है-
सहसम्बन्ध गुणांक
|
सहसम्बन्ध
|
+0.75 से +1
|
उच्च स्तरीय धनात्मक सहसम्बन्ध
|
+0.25 से +0.75
|
मध्यम स्तरीय धनात्मक सहसम्बन्ध
|
जीरो से अधिक और +0.25 से कम
|
निम्न स्तरीय धनात्मक सहसम्बन्ध
|
-0.75 से -1
|
उच्च स्तरीय ऋणात्मक सहसम्बन्ध
|
-0.25 से -0.75
|
मध्यम स्तरीय ऋणात्मक सहसम्बन्ध
|
जीरो और -0.25 के बीच
|
निम्न स्तरीय ऋणात्मक सहसम्बन्ध
|
0
|
कोई सहसम्बन्ध नहीं
|
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अब दिक्कत ये है की किन्ही दो श्रेणियों के बीच अंकों में कितना सहसम्बन्ध होगा इसकी गणना कैसे करें?
इसकी अनेक विधियाँ है जोकि नीचे समझाई गयी हैं |
स्पीयरमैन की कोटि अंतर विधि (Spearman's Rank Difference Method)
इस विधि में नीचे दिए गए सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है
यहाँ
1. ρ = रोह एक ग्रीक अक्षर है, इस अक्षर के द्वारा हम सहसम्बन्ध गुणांक को प्रदर्शित करते हैं|
2. N से मतलब श्रेणी में दिए गए कुल अंकों से है जैसे उदाहरण नंबर 4 में X तथा Y श्रेणी में पांच-पांच अंक हैं|
3. सूत्र में D क्या है यही हमको समझना है| D की गणना करने के लिए सर्वप्रथम श्रेणी X तथा श्रेणी Y के अंकों को उनके मान के अनुसार कोटि प्रदान करते है जैसे जो अंक श्रेणी में सबसे बड़ा होगा उसको हम 1 कोटि प्रदान करेंगे, श्रेणी के दुसरे बड़े अंक को 2 कोटि देंगे इसी तरह बाकी अंकों को भी कोटि दी जाएगी|
श्रेणी X की कोटि को श्रेणी Y की कोटि से घटाने पर जो अंक प्राप्त होगा उसको ही हम D कहते हैं |
4. D के समस्त मानों का हम वर्ग (Square) निकलते हैं | जिसको हम D2 कहते हैं|
5. D2 की सभी values को जोड़ने पर हमको ΣD2 कहते हैं| Σ (Sigma) भी एक ग्रीक शब्द है|
बाकी नीचे दिए गए सवाल को पढकर आप समझ जायेंगे-
सवाल 1- नीचे दिए गए आंकड़ों से कोटि अंतर विधि के द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक निकालिए|
Series X
|
Series Y
|
8
|
84
|
36
|
51
|
98
|
91
|
25
|
60
|
75
|
68
|
82
|
62
|
92
|
86
|
62
|
58
|
65
|
35
|
39
|
49
|
अब हम श्रेणी X तथा श्रेणीं Y के सभी अंकों को कोटि देंगे, उसके बाद दोनों श्रेणियों की कोटियों का अंतर निकालकर D, D2 तथा ΣD2 की गणना करेंगे, नीचे दी गयी टेबल से आपको ये समझ आजायेगा|
Series X
|
Series Y
|
कोटि
अंतर
|
D2
|
मान
|
कोटि X
|
मान
|
कोटि Y
|
D = कोटि X - कोटि Y
|
D2
|
8
|
10
|
84
|
3
|
7
|
49
|
36
|
8
|
51
|
8
|
0
|
0
|
98
|
1
|
91
|
1
|
0
|
0
|
25
|
9
|
60
|
6
|
3
|
9
|
75
|
4
|
68
|
4
|
0
|
0
|
82
|
3
|
62
|
5
|
-2
|
4
|
92
|
2
|
86
|
2
|
0
|
0
|
62
|
6
|
58
|
7
|
-1
|
1
|
65
|
5
|
35
|
10
|
-5
|
25
|
39
|
7
|
49
|
9
|
-2
|
4
|
Click to Subscribe JUNIOR GEOGRAPHERयहाँ N का मान 10 है चूँकि दोनों श्रेणियों में अंकों की कुल संख्या 10 है तथा ΣD2 का मान 92 है चूँकि D2 की सभी values को जोड़ें तो 92 संख्या प्राप्त होगी|
अब नीचे दिए गए सूत्र में सभी मान रखने पर
चूँकि ये value + में आयी है इसका मतलब श्रेणियों में धनात्मक सहसम्बन्ध है और value +0.25 से अधिक और +0.75 से कम है इसीलिए श्रेणियों में मध्य स्तरीय सहसम्बन्ध है|
By: Sabir Chdhry
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