हक़ीक़त-ए-ग़म-ए-उल्फ़त छुपा रहा हूँ मैं
शकील बदायूनी
हक़ीक़त-ए-ग़म-ए-उल्फ़त छुपा रहा हूँ मैं
शिकस्ता-दिल हूँ मगर मुस्कुरा रहा हूँ मैं
हक़ीक़त-ए-ग़म-ए-उल्फ़त = Reality of Sorrow of Love, शिकस्ता-दिल = Broken Heartedकमाल-ए-हौसला-ए-दिल दिखा रहा हूँ मैं किसी से रस्म-ए-मोहब्बत बढ़ा रहा हूँ मैं
कमाल-ए-हौसला-ए-दिल = Proficiency of Courage of Heart, रस्म-ए-मोहब्बत = Tradition in Loveबदल दिया है मोहब्बत ने उन का तर्ज़-ए-अमल अब उन में शान-ए-तकल्लुफ़ सी पा रहा हूँ मैं
तर्ज़-ए-अमल = Style of Action , शान-ए-तकल्लुफ़ = Honor of Formality मचल मचल के मैं कहता हूँ बैठिए तो सही सँभल सँभल के वो कहते हैं जा रहा हूँ मैं सुनी हुई सी बस इक धुन ज़रूर है लेकिन ये ख़ुद ख़बर नहीं क्या गुनगुना रहा हूँ मैं

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